नगर पालिका परिषद, नवाबगंज, बाराबंकी को प्रथम श्रेणी के बोर्ड, कवरिंग और 12 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में रखा गया है। 2001 की जनगणना के अनुसार (75,741) की जनसंख्या को मिलाकर। इस पालिका में प्रमाणित सेवाओं के सत्रह मूल पद, तृतीय श्रेणी के कर्मचारियों के बत्तीस पद और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की सभी श्रेणी के 362 पद हैं। अपने नागरिकों को नागरिक सुविधाएं प्रदान करने के लिए इसमें सात खंड शामिल हैं|
जिला बाराबंकी उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की पूर्व दिशा में लगभग 29 किलोमीटर दूर स्थित है। यह जिला अयोध्या मण्डल के पांच जिलों में से एक है, और अवध क्षेत्र के केंद्र में स्थित है, तथा जिला बाराबंकी अक्षांश 26°30′ उत्तर और 27°19′ उत्तर और देशांतर 80°58′ पूर्व और 81°55′ पूर्व के बीच स्थित है। जिला बाराबंकी पूर्व में जिला अयोध्या, पूर्वोत्तर में जिला गोंडा और जिला बहराइच, उत्तर पश्चिम में जिला सीतापुर, पश्चिम में जिला लखनऊ, दक्षिण में जिला रायबरेली और दक्षिण पूर्व में जिला अमेठी से घिरा हुआ है। घाघरा नदी बहराइच और गोंडा से बाराबंकी को अलग करने वाली उत्तर-पूर्वी सीमा बनाती है।
2011 की जनगणना के अनुसार जिले का क्षेत्रफल 3891.55 वर्ग किलोमीटर था। घाघरा नदी के प्रवाह में थोड़े से भी परिवर्तन के कारण जिले के क्षेत्रफल में साल-दर-साल भिन्न-भिन्न बदलाव होते रहते हैं, क्योंकि इस मामूली बदलाव से जिले के समग्र क्षेत्रफल में एक उल्लेखनीय बदलाव आ जाता है।
भौगोलिक स्थलाकृतिक दृष्टि से जिला को तीन मुख्य क्षेत्रों में विभाजित किया जा सकता है। पहला तराई क्षेत्र, उत्तर पूर्व में घाघरा नदी की ओर का क्षेत्र। द्वितीय गोमती पार क्षेत्र, दक्षिण पश्चिम से दक्षिण पूर्व तक जिले का व्यापक क्षेत्र। तीसरे को ‘हार’ क्षेत्र कहा जाता है, जो गोमती पार क्षेत्र से कुछ ऊंचाई पर स्थित है। संपूर्ण भूमि-तल उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पूर्व तक हल्की ढलान वाला है।
मैदानों का हिस्सा होने के कारण जिला मैदानी क्षेत्र के भूवैज्ञानिक अनुक्रम के अनुरूप है। जिले की मिट्टी की संरचना कछार की मिट्टी से हुई है, जो नदियों द्वारा लायी गयी मिट्टी है। ऊपरी पट्टी को ‘उपरहार’ कहा जाता है और इस मिट्टी की बनावट पीली चिकनी मिट्टी से हुई है। नदियों की बेसिन भूमि ज्यादातर रेतीली मिट्टी है, और नदियों के आस-पास की भूमि चिकनी बलुई मिट्टी की है। जिले में ध्यान आकर्षित करने वाला पाये जाने वाला एकमात्र खनिज रेत है, जो नदी के किनारों पर पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है, और निर्माण कार्यों में उपयोग किया जाता है। जिले को ईंट की मिट्टी के भण्डार के लिये भी जाना जाता है।
जिला राज्य के मैदानी क्षेत्र में स्थित है, इसलिए इसकी जलवायु की परिस्थितियां मैदानी इलाकों की औसत जलवायु के समान हैं। ग्रीष्मकाल में गर्म से बहुत गर्म, शीतकाल में ठंड से काफी ठंड और बरसात के मौसम में नम से बहुत नम और उमस भरे होते हैं। ज्यादातर बारिश जून से सितंबर तक होती है और अक्सर नवंबर से जनवरी के बीच भी होती है। सर्दियां नवंबर में प्रारम्भ होकर फरवरी के अंत तक जारी रहती हैं। 2014-15 में अधिकतम तापमान 45.0 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम 0.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था। 2014-15 के लिए दर्ज की गई औसत वर्षा 738 मि.मी. थी।
एक कहावत के अनुसार बाराबंकी का नाम जिले में अत्यधिक जंगलों के कारण से मिला है। लेकिन, दुर्भाग्यवश आज जिले में बहुत कम भूमि क्षेत्र जंगल के नाम मात्र है। समय बीतने के साथ, बढ़ती आबादी का दबाव और उसके लिये अधिक भोजन उपजाने की जरूरत ने, अंततः खेती के लिए अधिकांश वनों को साफ करने का कारण बना। वर्तमान में, बाराबंकी जिले में अधिकांश वनाच्छदित क्षेत्र असमान भू-भाग पर है, और इनमें मिश्रित विविधता वाली वनस्पति, जिसमें मुख्यता झाड़ियां होती हैं। वन छोटे और बिखरे हुए हैं। जंगलों के अंतर्गत कुल क्षेत्र लगभग 5308 हेक्टेयर है। तहसील रामसनेही घाट में 29%, तहसील फतेहपुर में 27% और तहसील हैदरगढ़ में 15% है। अधिकांश वन आवरण गोमती और कल्याणी नदी के तटों पर है। इसके अलावा, जिले में लोक निर्माण विभाग की 1034 किलोमीटर सड़क पर दोनों तरफ पेड़ हैं। शीशम, अर्जुन, कांजी, खैर, सागौन, सुबबूल, नीम, युकलिप्टुस, बबूल, कांजू, गुलमोहर, केसीआ, अकीसिया, आम और जामुन जैसे पेड़ पर्याप्त संख्या में पाए जाते हैं।
वृक्षों के कुंज, उद्यान और बागान के अंतर्गत भूमि-क्षेत्र पर्याप्त मात्र में सम्पूर्ण जिले में सामान्य रूप से वितरित हैं, जिले में बाग मुख्य रूप से आम के ही होते हैं, और यह तहसील नवाबगंज, रामनगर और फतेहपुर में केंद्रित हैं।
पिछली शताब्दी के दौरान अत्यधिक खेल शिकार और अवैध शिकार के कारण जिले में जंगली पशुओं की संख्या और विविधता में बहुत कमी आई है। यहां पाए जाने वाले विभिन्न जानवरों में नीलगाय (ब्लू बुल), हिरण (डियर), बारहसिंगा (स्वाम्प डियर), पढा (ब्लैक बक), चीतल (स्पौटड डियर), लोमड़ी, सियार, साही आदि शामिल हैं। नीलगायों की बढ़ती संख्या, जिले में किसानों के लिए खतरा बन गयी हैं। हालांकि, उपरोक्त सभी जानवर संरक्षित सूची पर हैं।
जिले के पक्षी भी आस-पास के जिलों के पक्षियों के समान हैं। पाये जाने वाले पक्षियों में मुख्यता कई प्रकार की बतख, किंग फिशर, तीतर, कबूतर, मोर और कई अन्य पानी वाले पक्षी हैं।
कई प्रकार के सांप और अन्य सरीसृप विशेषकर जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग हर जगह पाए जाते हैं। यहां पाए जाने वाले कुछ जहरीले सांपों में कोबरा, क्रेट और चूहे खाने वाला साँप शामिल है। कई गैर विषैले साँप भी देखे गए हैं और जिसमें अजगर मुख्य है। जिले में पाये जाने वाले अन्य सरीसृप में गिरगिट और बिचखोपरा हैं।
जिले की नदियों, धाराओं, तालाबों, नहरों, जलग्रहण क्षेत्रों और कृत्रिम जलाशयों में मछली पायी जाती हैं। मछली की कई प्रजातियां हैं जो इस जिले में अब तक पायी गयी हैं, मुख्य रूप से रोहू (लाबेओ रोहिता), नैन (सिर्र्हिना मृगाला), मांगूर (क्लारिअस बत्राकस), सौल (ओफिओसेफेल्हिलस), कटला।